राहुल गांधी की सिख टिप्पणी पर कोर्ट की फटकार, अब चलेगा मामला

हुसैन अफसर
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10 सितंबर 2024 को अमेरिका के वर्जीनिया में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय समुदाय के बीच भाषण के दौरान सिख समुदाय को लेकर एक टिप्पणी कर दी। टिप्पणी क्या थी? वो अदालत में साबित होना बाकी है, लेकिन इतना ज़रूर है कि सुनने वालों के कान खड़े हो गए और वाराणसी में रहने वाले याचिकाकर्ता नागेश्वर मिश्रा ने इसे सीधा “आस्था पर चोट” मान लिया।

अदालत ने कहा – “नॉट इंटरस्टेड”

28 नवंबर 2024 को निचली अदालत ने इस अर्जी को यह कहकर रद्द कर दिया कि “भाई, ये तो ज़्यादा सीरियस नहीं लग रहा…” लेकिन मिश्रा जी कहां मानने वाले थे। वो पहुंचे एमपी/एमएलए कोर्ट और बोले – “इंसाफ चाहिए, कोई एक्सप्रेस डिलीवरी नहीं तो कम से कम समन तो भेजो!”

एमपी/एमएलए कोर्ट बोली – “सुनवाई ज़रूरी है!”

वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने 21 जुलाई 2025 को आदेश दिया कि निचली अदालत इस मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर करे। यानी अब जज साहब बैठेंगे, बयान सुने जाएंगे, और तय किया जाएगा कि राहुल गांधी की बात सिर्फ़ कमेंट थी या केस बनने लायक टिप्पणी।

अगर याचिकाकर्ता जीते, तो क्या?

अगर फैसला मिश्रा जी के पक्ष में आया, तो राहुल गांधी पर मुकदमा दर्ज होगा। यानी अमेरिका में दिया भाषण, अब भारत में अदालत में नोट्स बना-बनाकर सुना जाएगा। और राहुल को फिर कहना पड़ सकता है – “मेरा मतलब वो नहीं था…”

तड़का:

राहुल गांधी अब शायद वर्जीनिया जाकर बोलेंगे – “भारत में बोलने की आज़ादी है, लेकिन एक्सपोर्टेड स्पीच भी टैक्सेबल है!”
राजनीति के इस ड्रामे में हर किरदार तैयार है – कोर्ट, नेता, याचिकाकर्ता और हम जनता… popcorn ready!

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